स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थशास्त्र (2019-20 के लिए) - नोट्स

CBSE कक्षा 11 अर्थशास्त्र
पाठ - 1 भारत का आर्थिक विकास
“स्वतंत्रता की समय भारतीय अर्थव्यवस्था”
पुनरावृत्ति नोट्स

स्मरणीय बिन्दु-
  • अंग्रेजी औपनिवेशिक शासन का मुख्य उद्देश्य भारत को ब्रिटेन में तेजी से विकसित हो रही आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए आधार के रूप में उपयोग करना था।
  • स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति:-
    1. आर्थिक विकास की निम्न दर:-
      • औपनिवेशिक सरकार ने कभी भी भारत की राष्ट्रीय तथा प्रति व्यक्ति आय के अनुमान के लिए कोई प्रयास नहीं किए।
      • डॉ. वी.के.आर.वी.राव के अनुसार सकल देशीय उत्पाद में वार्षिक वृद्धि दर केवल 2% तथा प्रति व्यक्ति आय में वार्षिक वृद्धि केवल 0.5% थी।
    2. कृषि का पिछड़ापन:- जिसके निम्न कारण थे-
      • जमीदारी, महलवाड़ी तथा रैयतवाड़ी प्रथा
      • व्यवसायीकरण का दबाव - नील आदि का उत्पादन
      • देश के विभाजन के कारण पश्चिम बंगाल में जूट मिल और पूर्वी पाकिस्तान में उत्पादक भूमि चली गयी तथा विनिर्मित निर्यात में की और आयात में वृद्धि
    3. अविकसित औद्योगिक क्षेत्र:-
      • वि-औद्योगिकीकरण - भारतीय हस्तकला उद्योग का पतन
      • पूँजीगत वस्तुओं के उद्योग का अभाव
      • सार्वजनिक क्षेत्र की सीमित क्रियाशीलता
      • भेदभावपूर्ण टैरिफ नीति
    4. विदेशी व्यापार की विशेषताएँ:-
      • कच्चे माल का शुद्ध निर्यातक तथा तयार माल का आयातक
      • विदेशी व्यापार पर ब्रिटेन का एकाधिकारी नियंत्रण
      • भारत की सम्पति का बर्हिप्रवाह
    5. प्रतिकल तत्कालीन जनांकिकीय दशाएँ:-
      • ऊँची मृत्युदर - 45 प्रति हजार
      • उच्च शिशु जन्म दर - 218 प्रति हजार
      • सामूहिक निरक्षरता - 84 निरक्षरता
      • निम्न जीवन प्रत्याशा - 32 वर्ष
      • जीवन-यापन का निम्न स्तर - आय का 80-90% आधारभूत आवश्यकता पर व्यय
      • जन स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव
    6. अविकसित आधारभूत ढाँचा:-
      • अच्छी सड़कें, विद्युत उत्पादन, स्वास्थ्य, शिक्षा तथा संचार सुविधाओं का अभाव।
      • यद्यपि अंग्रेज प्रशासकों द्वारा आधारभूत ढाँचे के विकास के लिए प्रयास किए गए जैसे – सड़कें, रेलवे, बंदरगाह, जल यातायात और डाक व तार विभाग।
      • लेकिन इनका उद्देश्य आम जनता को सुविधाएँ देना नहीं था बल्कि साम्राज्यवादी प्रशासन के हित में था।
    7. प्राथमिक (कृषि) क्षेत्र पर अधिक निर्भरता:-
      • कार्यबल का अधिकतम भाग लगभग 72% कृषि एवं संबंधित क्षेत्र में लगा था।
      • 10% विनिर्माण क्षेत्र में लगा था।
      • 18% कार्यबल सेवा क्षेत्र मे लगा था।
  • अंग्रेजी साम्राज्यवाद के भारतीय अर्थव्यवस्था पर कुछ सकारात्मक प्रभाव:-
    1. यातायात की सुविधाओं में वृद्धि - विशेषकर रेलवे में
    2. बंदरगाहों का विकास
    3. डाक व तार विभाग की सुविधाएँ
    4. देश का आर्थिक व राजनीतिक एकीकरण
    5. बैंकिंग व मौद्रिक व्यवस्था का विकास
  • अंग्रेज़ी साम्राज्यवाद क भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव:-
    1. भारतीय हस्तकला उद्योग का पतन
    2. कच्चे माल का निर्यातक व तैयार माल का आयातक
    3. विदेशी व्यापार पर ब्रिटेन का एकाधिकारी नियंत्रण
    4. व्यवसायीकरण पर दबाव
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